बांग्लादेश में गृहयुद्ध के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के हेलीकॉप्टर से ढाका से भागने के वीडियो हम सभी ने देखे हैं. इसके बाद से बांग्लादेश में अस्थिरता का माहौल है, हालांकि सेना ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बातचीत के लिए बुलाया है , इस पर संदेह अभी भी जारी है की शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश से भागने के लिए मजबूर करने वाले छात्रों के पीछे वास्तव में कौन है।
आंदोलन के पीछे के कुछ नाम सामने आ रहे हैं, नाहिद इस्लाम आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार जैसे छात्र नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन ये छात्र वास्तव में कौन हैं और ये इस आंदोलन का चेहरा कैसे बने, आईये जानते है इस लेख में
🇧🇩 #Bangladesh: Bangladeshi PM Sheikh Hasina has resigned and fled the country today after hundreds were killed in a crackdown against anti-government protests.
— POPULAR FRONT (@PopularFront_) August 5, 2024
Protesters stormed the presidential palace
in Dhaka, demanding Hasina’s resignation and justice for the 250… pic.twitter.com/RecqA03UbU
नाहिद इस्लाम
इस आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा नाहिद इस्लाम है और वह ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग में पढ़ते हैं उन्हें मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके काम के लिए भी जाना जाता है। उनका कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को दिया जाने वाला आरक्षण भेदभावपूर्ण और राजनीतिक तौर पर एक पार्टी को फायदा पहुंचाने वाला है. आरक्षण विरोधी आंदोलन के जोर पकड़ने पर 19 जुलाई को सबुज बाग स्थित उनके आवास से उनका अपहरण कर लिया गया था। सी दिन 20 से 25 लोगों द्वारा नायद को ले जाने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. नाहिद ने दावा किया कि आंदोलन में उनकी भागीदारी के बारे में पूछताछ करके उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई, हथकड़ी लगाई गई और उन्हें प्रताड़ित किया गया।घटना के दो दिन बाद वह पूर्वाचल में एक पुल के नीचे और बेहोश पाया गया 26 जुलाई को एक बार फिर उनका अपहरण कर लिया गया, इस बार उनका इलाज धमंडी के एक अस्पताल में चल रहा था ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा सहित विभिन्न खुफिया एजेंसियों के अधिकारी होने का दावा करते हुए, कुछ लोगों ने फिर से अपहरण उनका अपहरण किया ऐसा नाहिद ने बताया था लेकिन पुलिस ने आरोपों का खंडन किया लेकिन अपहरण या गिरफ्तारी ने नाहिद को और अधिक प्रसिद्धि दी। पुलिस की पिटाई से घायल नाहिद इस्लाम के चेहरे ने प्रदर्शनकारियों को और भड़का दिया परिणामस्वरूप, प्रदर्शनकारी और अधिक हिंसक हो गए और सड़कों पर उतर आए फिर 4 अगस्त को लॉन्ग मार्च टू ढाका आंदोलन से एक दिन पहले नाहिद ने हिंसक आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा था कि अब हम अपने हाथों में लाठियां लेंगे, लेकिन अगर उससे कोई फायदा नहीं होगा तो हम हथियार भी अपने हाथों में ले सकते हैं.नाहिद ने चेतावनी दी कि प्रधानमंत्री शेख हसीना देश को गृहयुद्ध में धकेलना चाहती हैं और अब उन्हें फैसला करना होगा कि वह पद छोड़ेंगी या पद पर बने रहने के लिए रक्तपात का सहारा लेंगी.उसके बाद हसीना ने रक्तपात रोकने के लिए स्वयं ही इस्तीफा दे दिया
आसिफ महमूद
इस आंदोलन में दूसरा बड़ा नाम आसिफ महमूद का है. आसिफ महमूद ढाका विश्वविद्यालय के भाषा विभाग के छात्र हैं 26 जुलाई को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों में आसिफ महमूद भी शामिल थे, जो जून में शुरू हुए आरक्षण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा थे। अन्य लोगों की तरह, उन्हें इलाज के दौरान अस्पताल से हिरासत में लिया गया था। आसिफ की गिरफ्तारी को राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताया गया था। बाद में 27 जुलाई को, दो और छात्र नेताओं, सरसजिस आलम और हसनत अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया और जासूसी शाखा कार्यालय में. रखा गया था उनके परिवार ने 28 जुलाई को उनसे मिलने की अनुमति मांगी, लेकिन पुलिस ने उन्हें 29 जुलाई तक छात्रों से मिलने की अनुमति नहीं दी। इससे पहले नाहिद आसिफ और उनके साथियों ने एक वीडियो जारी कर प्रदर्शन खत्म करने की अपील की थी. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वीडियो पुलिस ने छात्रों से जबरदस्ती से बनाया था.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आसिफ को एक इंजेक्शन दिया गया था जिससे वह कई दिनों तक बेहोश रहा बाद में 1 अगस्त को छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद दोनों को रिहा कर दिया गया, लेकिन 3 अगस्त को आसिफ ने फेसबुक पर पोस्ट कर छात्रों से घर पर रहने के बजाय पास के विरोध स्थलों पर जाने की अपील की, जब 5 अगस्त को शेख हसीना वहां देश छोड़कर से चली गईं आसिफ महमूद ने बयान दिया कि हम देश को सेना को नहीं सौंपेंगे
अबू बकर मजूमदार
आंदोलन का तीसरा प्रमुख चेहरा अबू बकर मजूमदार हैं. अबू को रूम में बंद कर आंदोलन वापस लेने का दबाव बनाया गया अबू बकर मजूमदार भी ढाका यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के छात्र हैं वह नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों के लिए भी काम करते हैं
5 जून को आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद अबु बकर ने अपने दोस्तों के साथ आरक्षण विरोधी आंदोलन शुरू किया, उन्होंने सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को दिए जाने वाले आरक्षण का जोरदार विरोध किया 19 जुलाई की शाम को धमंडी इलाके से कुछ लोगों ने अबुबकर मजूमदार का भी अपहरण कर लिया था, जिसके बाद वह अगले दो दिनों तक लापता थे. दो दिन बाद, अबुबकर सड़क के किनारे पाया गया जहाँ से उसे उठाया गया था अबू मजूमदार ने बाद में मीडिया को बताया कि पुलिस ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया और विरोध बंद करने के लिए दबाव डाला, जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो उन्हें पीटा गया घायल अबू मजूमदार को धमंडी के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 26 जुलाई को पुलिस ने उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया। पुलिस ने कहा कि उन्हें सामाजिक शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है।
जिस तरह से पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ कार्रवाई की, उसके कारण आंदोलन और अधिक हिंसक हो गया, जिसके बाद इन तीनों ने आंदोलन बंद किए बिना ढाका तक लंबे मार्च का आह्वान किया। नतीजा यह हुआ कि 5 अगस्त को शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। हालांकि इस आंदोलन के पीछे ये तीनों छात्र ही नजर आते हैं, लेकिन यह भी शक है कि इस आंदोलन का असली चेहरा नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस हैं।
मुहम्मद यूनुस
यूनुस शेख हसीना की राजनीति के कट्टर विरोधी रहे हैं। उन्होंने इस साल बांग्लादेश में हुए चुनावों में विपक्ष की भागीदारी न होने पर शेख हसीना की आलोचना की थी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में यह भी कहा कि शेख हसीना के खिलाफ स्टैंड न लेने के लिए भारत को कभी माफ नहीं कर सकता, मोहम्मद यूनुस पर संदेह करने का कारण यह है कि वह बांग्लादेश के एक बड़े उद्यमी हैं, उन्होंने जिस ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी, वह बांग्लादेश में गरीबों को लंबे समय तक व्यवसाय शुरू करने के लिए कम ब्याज दरों पर पैसा उपलब्ध कराने के लिए प्रसिद्ध है इसलिए उन्होंने बांग्लादेश के कई गरीब परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है
2006 में उन्हें इस काम के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। मोहम्मद यूनुस, जिन्हें गरीबों का बैंकर भी कहा जाता है शेख हसीना की सरकार ने उनके खिलाफ कई बार श्रम कानूनों के उल्लंघन, भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में कार्रवाई भी शुरू की थी, फिर 2023 में दुनिया भर के 170 प्रतिष्ठित नागरिकों ने मोहम्मद यूनुस के समर्थन में शेख हसीना को पत्र लिखकर मांग की थी कि कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए लेकिन शेख हसीना ने पत्र स्वीकार नहीं किये और कार्रवाई जारी रखी , इसलिए दोनों के बीच रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहे थे
स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन ने मोहम्मद यूनुस से अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार की भूमिका स्वीकार करने का अनुरोध किया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया इसलिए मोहम्मद यूनुस अब अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार हो सकते हैं लेकिन यह संदेह है कि वह इस आंदोलन के पीछे थे तभी उन्हें यह भूमिका दी गई होगी, अब केवल समय ही बताएगा कि मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने रहेंगे या प्रधान मंत्री बनेंगे।